यदि किसी भ्रंश के कारण काई अपारगम्य शैल विस्थापित होकर रंध्री और पारगम्य शैल के सान्निध्य में अवस्थित हो जाय तो उस स्थान पर जहाँ भ्रंशतल किसी प्राकृतिक काट (नाला, इत्यादि) के अनुप्रस्थ अनाच्छादित होगा, वहाँ सोते फूटने लगेंगे।
2.
यदि किसी भ्रंश के कारण काई अपारगम्य शैल विस्थापित होकर रंध्री और पारगम्य शैल के सान्निध्य में अवस्थित हो जाय तो उस स्थान पर जहाँ भ्रंशतल किसी प्राकृतिक काट (नाला, इत्यादि) के अनुप्रस्थ अनाच्छादित होगा, वहाँ सोते फूटने लगेंगे।
3.
(1) आंतभौंम जल एक ऐसे रंध्रमय और अप्रवेश्य शैल के अंदर संचित हो जिसके ऊपर और नीचे दोनों ओर अपारगम्य शैल अवस्थित हों, (2) स्तरों के प्रवण की दिशा में जल के बहकर निकल जाने का मार्ग अवरूद्ध हो और (3) जल का मूल स्रोतस्थान, कुँआ बनाने के स्थान से इतनी ऊँचाई पर हो कि वांछनीय तरल स्थैतिक दाब उत्पन्न हो, जिसके प्रभाव से कुआँ बनने पर जल स्वत: धरातल तक ऊपर उठ जाय।
4.
(1) आंतभौंम जल एक ऐसे रंध्रमय और अप्रवेश्य शैल के अंदर संचित हो जिसके ऊपर और नीचे दोनों ओर अपारगम्य शैल अवस्थित हों, (2) स्तरों के प्रवण की दिशा में जल के बहकर निकल जाने का मार्ग अवरूद्ध हो और (3) जल का मूल स्रोतस्थान, कुँआ बनाने के स्थान से इतनी ऊँचाई पर हो कि वांछनीय तरल स्थैतिक दाब उत्पन्न हो, जिसके प्रभाव से कुआँ बनने पर जल स्वत: धरातल तक ऊपर उठ जाय।